Wednesday, July 28, 2010

सब कुर्सी का खेल

मुंगेर में एक सप्ताह पूर्व जदयू के जिला
सम्मलेन में हंगामा करते कार्यकर्ता
पटना : राजनीति ही एक ऐसी जगह है, जहां पलभर में दुश्मनों से भी दांत काटी रोटी वाली दोस्ती, तो जिगरी यार भी बन जाते हैं जानी दुश्मन. कहें तो इससे कोई भी पार्टी अथवा दल बरी नहीं है. कारण कि सब कुर्सी का खेल है. सो,  इसमें उठा-पटक होना तय है. चाहे बात कांग्रेस की हो, या फिर राजद अथवा जदयू, भाजपा, लोजपा की..., अब  देख  लें   कि मंगलवार को महाराष्ट्र में कांग्रेस में किस  कदर  कार्यकर्ताओं  के  बीच  जमकर कुर्सियां चलीं. इसी दिन बिहार में भी कुछ  ऐसा ही देखने को मिला. बिहार के भागलपुर और सिवान जिलों में जदयू  के जिला  सम्मलेन  में खूब कुर्सियां चलीं. इतना ही नहीं इसके  एक दिन पहले  नवादा और उसके ठीक एक दिन पहले यानी  रविवार  को मोतिहारी  में भी जदयू कार्यकर्ता आपस में ही भीड़ गए थे. राजनीतिक अड्डों पर तो यही चर्चा है कि पोलिटिक्स में 'ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर' रामा हो रामा...   

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