Saturday, August 21, 2010

कुछ तो शर्म करो!

पटना : संसद में पिछले कई दिनों से सांसदों के वेतन वृद्धि को लेकर हो-हंगामा होता रहा. वेतन वृद्धि भी हुई, लेकिन कुछ पार्टियों के नेताओं को अब भी मन नहीं भरा है. इसमें राजद, जदयू, सपा आदि की ओर से सदन में हंगामा किया गया. यहाँ तक कि कई बार तो कार्यवाही को भी रोकनी पडी. वेतन वृद्धि पर नजर डालें तो पातें हैं कि वेतन 16000 से बढ़ाकर 50000  कर दिया गया. इसी  तरह,  ऑफिस  खर्च 20000  से 40000 , तो संसदीय भत्ता भी 20000  से 40000  कर दिया गया. लेकिन वेतन को लेकर कुछ पार्टियां अब भी संतुष्ट नहीं हैं.  उनका तर्क है कि सचिव का वेतन 80000  है तो उनके  सांसद  का  वेतन  50000  कैसे होगा. लेकिन उन्होंने यह नहीं सोचा कि छोटे कर्मचारियों का क्या होगा, जिन्हें  उनके वेतन का एक परसेंट भी नहीं मिलता है.  खासकर बिहार में शिक्षकों की नियत वेतन  पर बहाली  हुई है. रुरल   से  अर्बन  एरियाज तक में 4000  से 7000 रुपए पर इनकी बहाली हुई है. इनके वेतन को नियत करने में उन्हीं पार्टियों  का  हाथ है, जिनके माननीय को पांच गुणा वेतन वृद्धि चाहिए. नियत वेतन में माननीयों ने अपने नीयत पर जरा-सा  भी  ध्यान नहीं दिया. इसका  सबसे दुखद पहलू यह है कि जिस स्कूल में शिक्षक का वेतन 4000 से 7000 है, उसी स्कूल में चपरासी का वेतन 10-12  हजार से ऊपर है. सांसदों को अपना वेतन सेक्रेटरी के ऊपर तो दिखा, लेकिन उन  शिक्षकों का वेतन नहीं दिखा, जिन्हें अपने ही स्कूल में चपरासी से भी कम  मिल रहा है. क्यूं है न शर्म वाली बात...!       

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